जन्मभाद्रपद शुक्ल द्वितीया वि.स. 1409जन्म स्थानउण्डू-काश्मीर,जिला बाड़मेरमृत्युवि.स. 1442मृत्यु स्थानरामदेवरासमाधीरामदेवराउत्तराधिकारीअजमल जीजीवन संगीनैतलदेराज घरानातोमर वंशीय राजपूतपिताअजमल जीमातामैणादेधर्महिन्दू१५वीं शताब्दी के आरम्भ में भारत में लूट खसोट, छुआछूत, हिंदू-मुस्लिम झगडों आदि के कारण स्थितियाँ बड़ी अराजक बनी हुई थीं और भेरव नामक राक्षस का आतंक था। ऐसे विकट समय में पश्चिम राजस्थान के पोकरण नामक प्रसिद्ध नगर के पास रुणिचा नामक स्थान में तंवर वंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमाल जी के घर भादो शुक्ल पक्ष दूज के दिन विक्रम सम्वत् 1409 को बाबा रामदेव पीर अवतरित हुए (द्वारकानाथ ने राजा अजमल जी के घर अवतार लिया, जिन्होंने लोक में व्याप्त अत्याचार, वैर-द्वेष, छुआछूत का विरोध कर अछूतोद्धार का सफल आन्दोलन चलाया।जन्म स्थान-ग्राम उण्डू काश्मीर तहशिल शिव जिला बाडमेर राजस्थान